छत्तीसगढ़ी पंक्ति , छत्तीसगढ़ी कविता

MY CG LINE
0

छत्तीसगढ़ी पंक्ति , छत्तीसगढ़ी कविता


Hello friends आज आप सभी के लिए छत्तीसगढ़ी कविता लाए है जो आप सभी को जरूर पसंद आएगी .......

 

" तोर मया के गोठ "

रूठ जहु तोर ले ए बात में

रूठे रेहेव ता मनाए का बर नई

कहत रेहेस कर थव अब्बड़ मया तोला

फेर मोर नखरा उठाए का बर नई

मूहूं फुलाय खड़े रेहे हव ओ करा ता

बुला के छाती ले लगाय का बर नई

पुचहु धर के हाथ तोर

हक अपन जताय का बर नई

ए धागा के एक ठन सिरा तोर मेरा रीहिस फेर

उलझे धागा ला सुलझाए का बर नई....।



" मोर मया के बात "

ओकर ले मया हे ए बताना घलो जरूरी हे

हे मया ता मोला ए जताना घलो जरूरी हे...।

अब गोठियाय भर ले बात नई बनाय

ओकर झील जईसे आंखी में डूबना जरूरी हे...।

ओला मया के बात बताय के बात नई बनाय

ओला मया के शायरी सुनना घलो जरूरी हे...।

छोड़ के झन जाबे कोनो हाल में मोला

मया करे हस ता संग निभाना घलो जरूरी हे...।

मया में रूठना ता कोनो बात नोवय फेर

कभू मायरू रूठ जाय ता ओला मनना जरूरी हे...।



" उही में हरव "

बिताय होबे ते कतको दिन,महीना,साल

जेन काट नई सकेस ओ रात में हरव...।

गोठियाय होबे कतको बार कतको झन ले

फेर जेन गोठ दिल में लगिस ओ एकठन गोठ में हरव...।

भीड़ म अकेल्ला तै खुद ला पाबे

मोर रेहे के एहसास जेन कराही ओ एक साथ में हरव...।

बिताय होबे कतको अच्छा दिन सबके संग में

फेर भुला नई पाबे ओ एक याद में हरव...।


"एक बार अऊ जिये बर सिखावत हे"

दिन - रात 

तोर आदत मोला लगाय जावत हे...।

तोला पाय नई हव तभो ले

तोला गवाय के डर रोववत हे...।

मोर हाथ ले नगा के

अपन हिसाब ले मोर जिनगी चलाय जावत हे...।

तोर आये ले

मोर दिल अब ओला भुलाय जावत हे...।

कुछु ता होय हे 

तोर आये ले ये मोला बताय जावत हे...।

एक बार अऊ मोला

जिनगी जिये बर सिखावत हे...।


" रोजगार की चाहत " 

खाली कंधो पर थोड़ा सा भार चाहिए ,

 बेरोजगार हूँ साहब रोजगार चाहिए । 

जेब में पैसे नहीं है डिग्री लिए फिरता हूँ 

दिनो - दिन अपनी नजरों में गिरता हूँ । 

कामयाबी के घर में खुले किवाड़ चाहिए 

बेरोजगार हूँ साहब रोजगार चाहिए ॥

 Talent की कमी नहीं हैं भारत की सड़को पर 

दुनिया बदल देंगे भरोसा करो इन लड़को पर 

लिखते - लिखते मेरी कलम तक घिस गई 

नौकरी कैसे मिले जब नौकरी ही बिक गई 

नौकरी की प्रक्रिया में अब सुधार चाहिए 

बेरोजगार हूँ साहब मुझे रोजगार चाहिए || 

 दिन - रात एक करके मेहनत बहुत करता हूँ

 सुखी रोटी खाकर ही चैन से पेट भरता हूँ

भ्रष्टाचार से लोग खूब नौकरी पा रहे है 

रिश्वत की कमाई खूब " मजे में खा रहे हैं 

नौकरी पाने के लिए यहाँ जुगाड़ चाहिए 

बेरोजगार हूँ साहब रोजगार चाहिए।।


Tags

Post a Comment

0 Comments
Post a Comment (0)

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Out
Accept !
To Top